जब जब भी संकट का मुझ पर, घेरा होता है,
Jab jab sankat ka mujhe per ghara hota hai
जब जब भी संकट का मुझ पर, घेरा होता है, मेरे दरवाजे पे हनुमान का, पहरा होता है, मेरे दरवाजे पे हनुमान का, पहरा होता है ।।
जब से आए घर में मेरे, घर के संकट भाग गए, हम तो सोए थे गहरी नींद में, हनुमान जी जाग रहे, हर गली हर कुचे इनका, हर गली हर कुचे इनका, बसेरा होता है, मेरे दरवाजे पे हनुमान का, पहरा होता है, मेरे दरवाजे पे हनुमान का, पहरा होता है ।।
मुझसे ज्यादा चिंता करते, ये मेरे घर बार की, करते है रखवाली हरदम, ये मेरे परिवार की, जपते जपते नाम इन्ही का, जपते जपते नाम इन्ही का, सवेरा होता है,
Bhajan Potli
मेरे दरवाजे पे हनुमान का,
पहरा होता है ।।
श्री राम का सेवक है ये, भक्तो का रखवाला है,
इसकी महिमा बहुत बड़ी है, इसका खेल निराला है, भक्तो से भगवान का रिश्ता, भक्तो से भगवान का रिश्ता, गहरा होता है, मेरे दरवाजे पे हनुमान का, पहरा होता है, मेरे दरवाजे पे हनुमान का, पहरा होता है ।।
श्रेणी:
हनुमान भजन
स्वर:
Usha Bansal ji