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हनुमान जी स्तुति दोहे

Hanuman ji stuti Dohe

श्री राम जय राम जय जय राम

हनुमत तेरे भक्त जन , सुलग रहे चहुँओर।
कर दो ऐसा अब जतन, मिटे विपद घनघोर।।

पवनतनय संकट हरण , अब सुन लो अरदास।
निज भुजबल की लाज रख, करुँ विनती मैं दास।।

तेरी किरपा से प्रभू , बन जाते सब काज।
ध्यान तोड़ अब तो सुनो ,जनजन की आवाज।।

पथ कोई दिखता नहीं , चित्कारों का शोर।
लेटे मृत्यु शैय्या पर , दिखे भीष्म चहुँओर।।

महावीर फिर एक बार , संजीवनी दो लाय।
विषव्याधि इह रावण को ,फिर से दियो जलाय।।

हे कपीश अब कोप हरो , त्यागो पत्थर देह।
भक्तों का अनुनय सुनो , बरसाओ अब नेह।।

ब्रह्मा विष्णु महेश को , हारी लगा गुहार।
लहुलुहान आतप हृदय, आई शरण तिहार।।

रुद्र एकादश शिव प्रिय , हो राम हृदय के हार।
त्रिभुवन स्वामी को मना, पहुँचा विनय हमार।।

कर जोरी विनती करुँ , तोड़ो अपना ध्यान।
कहिं ऐसा न हो जाए, बचे न तन कोई प्राण।।

श्रेणी:

हनुमान भजन

स्वर:

Sarika Bansal (Dimple)

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