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सरकी सरकी सर से सरकी, आस लगी मोहे बस गिरधर की
Sarki sarki sar se sarki aas lagi mohe girdhar ki
सरकी सरकी सर से सरकी, आस लगी मोहे बस गिरधर की
आए नहीं घनश्याम कि साड़ी सर से सरकी
पाँचो पति मेरे ऐसे बैठे जैसे अबला नारी
द्रोणाचार्य पितामह बैठे नीचे गदरन डारी
हो सरकी सरकी सर से सरकी
याद करो प्रभु तुम उस दिन को उँगली कटी तुम्हारी
खींच के मैंने अपने तन से फाड़ी रेशम साड़ी
Bhajan potli
सरकी सरकी सर से
राधा छोड़ी रुक्मणी छोड़ी, छोड़ी गरुड़ सवारी
नंगे पैरों दौड़े आए देखो कृष्णा मुरारी
हो भारी सभा में मान बढ़ाया, भाई होने का फ़र्ज़ निभाया
आ ही गए घनश्याम लाज द्रोपदि की बच गयी
#राखीगीत #RakhiGeet
श्रेणी:
राखी गीत
स्वर:
Sarika Bansal (Dimple)
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