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रोज मेरी खिड़की से झांकता है वो
Roj meri khidki se jhankta hai vo
रोज मेरी खिड़की से झांकता है वो ताजा-ताजा माखन मांगता है वो ना दूं तो मिट्टी उछालता है वो ताजा-ताजा माखन मांगता है वो
बोलता है थोड़ा सा तुतला के मांगता है माखन वो शरमा के चोरी चोरी आंगन को लांघता है वो ताजा-ताजा माखन मांगता है वो
नरम कलाई पकड़ती हूं माखन हथेली पर रखती हूं धीरे-धीरे माखन को चाटता है वो ताजा-ताजा माखन मांगता है वो
जब जब मैं माखन बिलोती हूं आंसुओं से दामन भिगोती हूं मेरा गिरधारी सब कुछ जानता है वो ताजा-ताजा माखन मांगता है वो
रोज मेरी खिड़की से झांकता है वो ताजा ताजा माखन मांगता है वो ना दूं तो मिट्टी उछालता है वो ताजा-ताजा माखन मांगता है वो
#bhajan potli
श्रेणी:
कृष्ण भजन
स्वर:
Sangeeta Kapur
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