मेरे सतगुरु का श्रिंगार,गल्ल फूलों के हार,
Mere satguru ka shingar
मेरे सतगुरु का श्रिंगार,गल्ल फूलों के हार,
सोहणा सा दरबार, गुरु जी कितने सुन्दर हो, गुरु जी कितने सुन्दर हो।
मन में प्यार भरा और तन में प्यार भरा,
जीवन में प्यार भरा, तुम तो मेरे गुरुवर हो, तुम्ही तो मेरे गुरुवर हो।
शृंगार तेरा चोला, चोले पर हार सोहणा,
तुम शहंशाह हो मेरे सारी दुनिया का कहना।
चलते मस्तानी चाल, सोहणा सा दरबार, गुरु जी कितने सुन्दर हो, गुरु जी कितने सुन्दर हो।
सारी दुनिया है झूठी, तेरे दर पर है सच्चाई,
इस्लिये छोड़ कर दुनिया, मैं तेरे दर चली आयी।
आयी तेरे दरबार, अब खोल दो दर्शन हाल,
Bhajan potli
सोहणा सा दरबार, गुरु जी कितने सुन्दर हो------।
तेरा दर्शन मेरा जीवन, मुस्कान सच्चे मोती,
जब अमृतवर्षा करते, खिल जाती मन की ज्योती,
तेरी सूरत जैसे मूरत, मैं देखूँ बार बार।
मेरे सतगुरु का शृंगार, गल्ल फूलों के हार, सोहणा सा दरबार, गुरु जी कितने सुन्दर हो, गुरु जी कितने सुन्दर हो।
श्रेणी:
गुरुदेव भजन
स्वर:
Pooja Taneja ji