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मेरे पिता मेरे भगवान,मेरी दुनिया कर विरान, कहां तुम चले गये।
Mere pita mere bhagwan
मेरे पिता मेरे भगवान,मेरी दुनिया कर विरान, कहां तुम चले गये।
मेरे जीवन की पहचान, मेरी दुनिया कर विरान, कहां तुम चले गये।
मैने भाव समर्पण का गुण आप से सीखा है।
सिख्लाया आपने ही जीने का सलिका है।
अभी और सीखना था,
ऐसे तो न जाना था,
कहां तुम चले गए।
क्यूँ आपके होने का एहसास अभी भी है,
आओगे लोटौगे तुम, विश्वास अभी भी है।
मेरी दुनिया के सरताज, आ जाओ लौट के आज
कहां तुम चले गए।
ये आप के करम ही थे, जो कुछ बन पाया हूँ,
मै जो भी हूँ, बस आपकी छाया हूँ,
मुझे इस का है अभिमान,
मुझे मिला आपका नाम,
कहां तुम चले गये।
श्रेणी:
विविध भजन
स्वर:
Vineet kwatra ji
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