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भोले की बारात चली गज वज के सारयां ने भंग पीती रज-रज के
Bhole ki barat chali gaj baj ke
भोले की बारात चली गज वज के सारयां ने भंग
पीती रज-रज के,सारयां ने भगत प्यारिया ने
ब्रह्मा विष्णु खुशी मनावे देवी-देव ते जैकारे लांदे
बन के बाराती आये सज-धज के सारयां ने .....
भोले की बारात चली.......
विच पहाडा भोला शंकर की-की रंग दिखावे
दासी वी ए हरदम शिव दा नाम ध्यावे, दासी
वी ना थकदी ए नच-नच के सारयां ने.......
भोले की बारात चली.........
शुक् शनिचर शंक बजावे नारद वीणा छेडी
शिव शंकर नू मस्ती चढ गई तीजी अंख सी
फेरी नन्दी वी ना थकदा ए नच-२ के सारयां ने......
भोले की बारात चली........
भोले वखरा रूप बनाया गौरी मईया नाल व्याहा
रचाया देखने नू आये सारे भज-२ के सारयां ने......
भोले की बारात चली.........
चारों पासे खुशियाँ छाईयाँ हर पासे मिलन वधाईयाँ
ताडी वी ना थकदी ए वज-२ के सारयां ने.......
भोले की बारात चली........
श्रेणी:
शिवरात्रि भजन
स्वर:
Sangeeta kapur ji