बाजी सांसों की शहनाई, मैया निर्धन के घर आई,
Baji saanso ki shahnai
बाजी सांसों की शहनाई,
मैया निर्धन के घर आई,
आज मारे खुशी के,
मेरी अखियांँ रो पड़ी,
ओ कर दी, मैया ने पवित्र मेरी झोपड़ी, जय हो,
ओ कर दी, मैया ने पवित्र मेरी झोपड़ी|
बाजी सांसों की शहनाई,
मैया निर्धन के घर आई|
आई वो मेवे ते मिश्री खाके,
भोग पेड़ों का वो है लगा के,
ना है दूध ना मलाई,
ना है मेवे की मिठाई,
मैया रूखी-सूखी खाएँ यहाँ,
बिन चौपड़ी|
ओ कर दी, मैया ने पवित्र मेरी झोपड़ी, जय हो|
जैसे राम जी ने शबरी को तारा था,
जैसे कृष्ण जी ने गिरधर निहारा था,
वैसे आ के आप भवानी,
हे जगदंबे, हे महारानी,
हमें तारने को आई है,
शेर पर चढ़ी|
ओ कर दी, मैया ने पवित्र मेरी झोपड़ी, जय हो|
तुझे जाने ना दूंगी किसी ओर से,
मैं तो बांध लूंगी भावना की डोर से,
कर दी भक्तों की रखवाली,
सबको सब कुछ देने वाली,
तेरी पूजा करूंगी,
मैं तो हरदम खड़ी|
ओ कर दी, मैया ने पवित्र मेरी झोपड़ी, जय हो|
देखो सच हुआ सपना गरीब का,
पासा पलट गया मेरी तकदीर का,
तेरी ममता की छांव,
लागे धरती पर ना पांव,
जी भर के खुशियां,
मनाने को खड़ी|
ओ कर दी, मैया ने, पवित्र मेरी झोपड़ी, जय हो|
बाजी सांसों की शहनाई,
मैया निर्धन के घर आई,
आज मारे खुशी के,
मेरी अखियांँ रो पड़ी,
ओ कर दी, मैया ने पवित्र मेरी झोपड़ी, जय हो,
ओ कर दी, मैया ने पवित्र मेरी झोपड़ी|
श्रेणी:
देवी भजन
स्वर:
Anita sobti ji