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ना स्वर है ना सरगम है ना लय ना तराना है

Na swar hai na sargam hai na lay na tarana hai

ना स्वर हैं, ना सरगम हैं, ना लय न तराना है।
बजरंग के चरणो में एक फूल चढ़ाना है॥

तुम बाल समय में प्रभु, सूरज को निगल डाले,
अभिमानी सुरपति के, सब दर्प मसल डाले,
बजरंग हुए तब से, संसार ने जाना है।
बजरंग के चरणो में एक फूल चढ़ाना है॥

जब राम नाम तुमने, पाया ना नगीने में,
तुम चीर दिए सीना,सिया राम थे सीने में,
विस्मित जग ने देखा ,कपि राम दीवाना हैं।
बजरंग के चरणो में एक फूल चढ़ाना है॥

सब दुर्ग ढ़हाकर के, लंका को जलाए तुम,
सीता की खबर लाये, लक्ष्मण को बचाये तुम,
प्रिय भरत सरिस तुमको, श्री राम ने माना है।
बजरंग के चरणो में एक फूल चढ़ाना है॥

हे अजर अमर स्वामी, तुम हो अन्तर्यामी,
हूँ दीन हीन चंचल, अभिमानी अज्ञानी,
यदि तुमने नज़र फेरी, फिर कहाँ ठिकाना है।
बजरंग के चरणो में एक फूल चढ़ाना है॥

श्रेणी:

हनुमान भजन

स्वर:

Sarika Bansal (Dimple)

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