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तुम मुरली मधुर बजाओ ,मैं प्रेम से नाँचू गाँऊ
Tum murli madhur bajao
तुम मुरली मधुर बजाओ ,मैं प्रेम से नाँचू गाँऊ तुम
मुरली मधुर बजाओ...........
मैं बन के बाँस की पौरी,तेरे अधरों से लग जाँऊ
तुम प्रेम से मुझे बजाओ,मैं अधर सुधा रस पाँऊ
तुम मुरली मधुर बजाओ........
मैं बन कर जल की मछली,प्यारे यमुना में छुप जाँऊ
तुम श्याम नहाने आओ,मैं चरण कमल रज पाँऊ
तुम मुरली मधुर बजाओ.........
मैं बन कर मोर रंगीला,यमुना के तट पर जाँऊ
तुम रास रचाने आओ,मैं नच-२ पैंदा पाँऊ
तुम मुरली मधुर बजाओ.........
श्रेणी:
कृष्ण भजन
स्वर:
Sangeeta kapur ji
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