top of page

डोली चढ़ के दादीजी ससुराल चली,डोली चढ़ के।

Doli chad k dadiji sasural chali

डोली चढ़ के दादीजी ससुराल चली,डोली चढ़ के।२।
कैसी सुंदर लगे आज दादी मेरी,डोली चढ़ के।२।

नाक में नथनी कानों में कुंडल सोहे।
म्हारी दादी के माथे पर रोली सोहे।
सिर पर चुनर दादी तारा की है जड़ी।
हाथों में दादी के आज मेहंदी रची।

डोली चढ़ के दादीजी ससुराल चली,डोली चढ़ के।२।
कैसी सुंदर लगे आज दादी मेरी,डोली चढ़ के।२।

जिस समय दादी की डोली पि घर चली।
दृष्ट यवनों की सेना से डोली भिड़ी।
दुष्ट यवनों की नजरें डोली पर पड़ी।
उस घड़ी पर भयंकर लड़ाई छीडी।

डोली चढ़ के दादीजी ससुराल चली,डोली चढ़ के।२।
कैसी सुंदर लगे आज दादी मेरी,डोली चढ़ के।२।

दृष्ट यवनौ ने धोखे से वार किया
दादी स्वामी को यवनों ने मार दिया।
कूद डोली से दादी रणचंडी बनी।
दृष्ट यवनों का नामो निशान मिटा।

डोली चढ़ के दादीजी ससुराल चली,डोली चढ़ के।२। #bhajanpotli
कैसी सुंदर लगे आज दादी मेरी,डोली चढ़ के।२।

गोद में ले पति वह सती हो गई।
और सती होकर जगदंबे मात बनी।
दादी राणा की भक्ति पर होकर खुशी।
उनके नामों पर रानी सती बन गई।

डोली चढ़ के दादीजी ससुराल चली,डोली चढ़ के।२।
कैसी सुंदर लगे आज दादी मेरी,डोली चढ़ के।२।

श्रेणी:

राणीसती दादी भजन

स्वर:

Sarika Bansal

bottom of page