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डाल गया रंग रसिया रंगीली होली में,

Daal gayo rang rasiya holi mai

डाल गया रंग रसिया रंगीली होली में,
लड़ गई बैरन अंखियां निगोड़ी होली में

मटका पर मटकी धराई मैं तो दही बेचन को आई, वो साकरी मार गिरायी क्या मन में आई कन्हाई, गिरायी होली में लड़ गई बैरन अखियां निगोड़ी होली में

सुन गुजरी मैं बतलाऊं दिल अपने की बात सुनाऊं, क्यों फाग में सूखी डोले याही को रंग लगाऊ, बुलाऊं होली में लड़ गई बैरन अखियां निगोड़ी होली में

भरी मटकी रंग लगाया इस हाल में कहां डोलूंगी, जब सास नंद पूछेंगी इस मुंह से क्या बोलूंगी, रोंऊगी होली में लड़ गई बैरन अखियां निगोड़ी होली में

कह दे ना फाग महीना बिन खेलें भी क्या है जीना, भीगे बिन होली कैसी चाहे जितना आए पसीना, भिगाना होली लड़ गई बैरन अखियां निगोड़ी होली में

तेरी जाल पाश की बातें उलझाती दिन और रातें, ऐसा रंग रंग दे रसिया कल की रहे मुलाकातें, निभाये होली में लड़ गई बैरन अखियां निगोड़ी होली में

चल मिलकर होली खेले सुन मन से मन जोड़ें, गोपाली सखी हरिदासी वह पागलपन में ले ले, ओ खेले होली में लड़ गई बैरन अखियां निगोड़ी होली में
#bhajanpotli

मैं तो हूं रंगरसिया रंगीली होली में कर ले मो संग बतिया रंगीली होली में डाल गयो रंग रसिया रंगीली होली में लड़ गई बैरन अखियां निगोड़ी होली में

श्रेणी:

होली भजन

स्वर:

Sangeeta kapur ji

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