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जिन्दगी एक किराए का घर है

Jindgi ek kiraye ka ghar h

जिन्दगी एक किराए का घर है

जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
मौत जब तुझको आवाज देगी ॥
घर से बाहर निलना पड़ेगा,

रूठ जाएँगी जब तुझसे खुशियाँ,
गम के साँचे मे ढलना पड़ेगा,
वक्त ऐसा भी आएगा नादान ॥
तुझको काँटोँ पर चलना पड़ेगा,

कितना माशूर हो जाएगा तू,
इतना मजबूर हो जाएगा तू,
ये जो मखमल का चोला है तेरा ॥
ये कफन मेँ बदलना पड़ेगा,

कर ले इमान से दिल की सफाई,
छोड़ दे छोड़ दे तू बुराई,
वक्त बाकी है अब भी संभल जा ॥
वरना दो ज़क मेँ जलना पड़ेगा,

ऐसी हो जाएगी तेरी हालत,
काम आएगी दौलत न ताकत,
छोड़कर अपनी उँची हवेली॥
तुझको बाहर निकलना पड़ेगा,

श्रेणी:

विविध भजन

स्वर:

Musical दिवाकर

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