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क्यो आके रो रहा है मोहन की गली में हर दर्द की दवा है मोहन की गली में।।

Kyu aaker ro raha hai mohan ki gali mai

तक़दीर का गम दुनिया का सितम
हर हाल में सहना पड़ता है।।

शिकवे भी लबो पे रहते है
खामोश भी रहना पड़ता है।।

क्यो आके रो रहा है मोहन की गली में
हर दर्द की दवा है मोहन की गली में।।
श्री बांके बिहारी लाल की जय
बोलिये भक्त वत्सल भगवान की जय

क्यों आ के रो रहा है, मोहन की गली में।
हर दर्द की दवा है, मोहन की गली में॥

कोई रो के उनसे कह दे, कोई ऊँचे बोल बोले,
सुनता है वो उसी की, बोली जो उनकी बोले।
हवाएं अदब से बहती हैं, मोहन की गली में॥

तू खुल के उनसे कह दे, जो दिल में चल में चल रहा है,
वो जिंदगी के ताने बाने जो बुन रहा है।
हर सुबह खुशनुमा है, मोहन की गली में॥

तुझे इंतज़ार क्यों है, किसी इस रात की सुबह का,
मंजिल पे गर निगाहें, दिन रात क्या डगर क्या।
हर रात रंगनुमा है, मोहन की गली में॥

दो घुट जाम के हैं, हरी नाम के तू पी ले,
फिकरे हयात क्यों है, जैसा है वो चाहे जी ले।
#bhajanpotli
साकी है मयकदा है, मोहन की गली में॥

इस और तू खड़ा है, लहरों से कैसा डरना,
मर मर के जी रहा है, पगले यह कैसा जीना।
कश्ती है ना खुदा है, मोहन की गली में॥

श्रेणी:

कृष्ण भजन

स्वर:

Brijwasi Dewakar Sharmaji

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