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कान्हा डार गयो री अखियां में गुलाल
Kanha daar gayo ri ankhiyo mai gulal
कान्हा डार गयो री अखियां में गुलाल
भर पिचकारी मेरे पैरों में मारी
हां पैरों में मारी
पैरों की शोभा बिगड़ गयो री
कान्हा डार गयो रे
भर पिचकारी मेरे हाथों में मारी
हां हाथों में मारी
हाथों की शोभा बिगड़ गयो री
कान्हा डार गयो री
भर पिचकारी मेरे गले पर मारी
हां गले पर मारी
माला की शोभा बिगड़ गयो री
कान्हा डार गयो रे
भर पिचकारी मेरे कानों पर मारी
हां कानों पर मारी
कुंडल की शोभा बिगड़ गयो री
कान्हा डार गयो री
भर पिचकारी मेरे माथे पर मारी
हां माथे पर मारी
बिंदी की शोभा बिगड़ गयो री
कान्हा डार गयो रे
श्रेणी:
होली भजन
स्वर:
Usha Bansal ji
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