कच्चे धागों का यह रिश्ता बंध जाता है बचपन से
Kachche dhaage ka yah rishta bandh jata hai Bachpan se bandh
कच्चे धागों का यह रिश्ता बंध जाता है बचपन से, मरते दम तक साथ निभाए बन के रक्षाबंधन से, धागों से बांधा एहसास दिल के रिश्ते का रिश्ता यह अपना रब की रुबाई मैं रहूं ना मैं तेरे बिना तू रहे ना तू मेरे बिना, धागों से बांधा एहसास तुमसे मिलने का, मिलना ये अपना रब की रुबाई मैं रहूं मैं ना तेरे बिना तू रहे ना तू मेरे बिना
तुमसे तो ही मिलते सारे फूल उम्मीद वाले, हिम्मत बंध जाती है जब तू हंस के पास बिठा ले, खुशियों का तू सामान है तू साथ है तो यूं लगे जीना बड़ा आसान है, बातों से बांधा हर तार अपने रिश्ते का रिश्ता यह अपना रब की रुबाई मैं रहूं ना मैं तेरे बिना तू रहे ना तू मेरे बिना
चार दिशाएं जैसे तुम हो मेरे लिए जरूरी, तुम ना हो तो हर दिन आधा हर एक शाम अधूरी, आधा मुझे रहना नहीं, कुछ कम लगे वे घर मुझे जिस घर में कोई बहना नहीं, यादों से बांधा जज्बा यह अपने रिश्ते का रिश्ता यह अपना, रब की रुबाई मैं रहूं ना मैं तेरे बिना तू रहे ना तू मेरे बिना
#bhajan potli
श्रेणी:
राखी गीत
स्वर:
Sangeeta Kapur