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आराम के क्या क्या साथी थे, जब वक्त पडा तब कोई नहीं।
Aaram ke kya kya sathi the
आराम के क्या क्या साथी थे,
जब वक्त पडा तब कोई नहीं।।
सब दोस्त है अपने मतलब के
दुनिया में किसी का कोई नहीं।।
आराम के क्या क्या साथी थे,
जब वक्त पडा तब कोई नहीं।।
सुलतान जहां माशूक जो थे
सुलतान जहां माशूक जो थे
सूने पड़े है मरघट उनके।।
जहां चाहन े वाले लाखो थे
जहां चाहने वाले लाखो थे
वहाँ रोने वाला कोई नहीं।।
आराम के क्या क्या साथी थे,
जब वक्त पडा तब कोई नहीं।
श्रेणी:
विविध भजन
स्वर:
BRIJVASI Dewakar Sharma ji
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