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आई बागों में बहार, झूला झूले राधा प्यारी ।
aai bago mai bahar jhula jhule radha pyari
आई बागों में बहार,
झूला झूले राधा प्यारी ।
सावन की ऋतु है आई,
घनघोर घटा नभ छाई ।
ठंडी-ठंडी पड़े फुहार,
झूला झूले राधा प्यारी ॥
राधा संग में बनवारी,
झूलें हैं सखियाँ सारी ।
गावेँ गीत मल्हार,
झूला झूले राधा प्यारी ॥
हो मस्त मोर यूँ नाचे,
मोहन की मुरलिया बाजे ।
कू-कू कोयल करे पुकार,
झूला झूले राधा प्यारी ॥
भए ऐसे मगन कन्हाई,
चलती ठंडी पुरवाई ।
छम-छम बरसे मूसलधार,
झूला झूले राधा प्यारी ॥
सब सज रहीं नार नबेली,
नटखट करते अठखेली ।
कर के सोलह सिंगार,
झूला झूले राधा प्यारी ॥
@bhajan potli
आई बागों में बहार,
झूला झूले राधा प्यारी ।
श्रेणी:
सावन स्पेशल
स्वर:
Sarika Bansal
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