आंखों में है आंसू और होठों पे मां का नाम
Ankhon me hai aasu aur hothon pe hai maa ka naam
आखों में है आँसु ओर होठों पे मॉ का नाम
क्यों ना रिझेगी मेरी मॉ क्यों ना मानेगी मेरी मॉ
करो भरोसा बन जायेगे तेरे बिगडे काम
क्यों ना रिझेगी.......
अपने पापों पर पछताए, जब भी तू रो देगा
तेरा इक-इक आँसु क्यों ना पापों को धो देगा
फिर अम्बे मॉ का दर्शन होगा आहों का इनाम
क्यों ना रिझेगी......
आँसु है वो दर्पण जिसमें रूप मईया का बसता
ऐसे रोने से मॉ मिल जाये तो जानु सस्ता
कितने दुलभ मॉ के दर्शन कितने सस्ते दाम
क्यों ना रिझेगी......
रोने से जग हंसता है पर रो देना आसान नहीं
दीनबंधु मॉ करूणासिंधु कर दैगी पहचान सही
भगत वत्सला शरणागत को भज ले सुबह शाम
क्यों ना रिझेगी.........
वो आँसु भी क्या आँसु जो जग के लिये बहाये
मॉ की याद में बहे जो आँसु वो आँसु कहलाये
ऐसे ही इक आँसु पर दौडी आयेगी मेरी मॉ
क्यों ना रिझेगी.........
आँखो में है आँसु अोर होठो पर मॉ का नाम
क्यों ना रिझेगी मेरी मॉ क्यों ना मानेगी मेरी मॉ
करो भरोसा बन जायेगे तेरे बिगडे काम
क्यों ना रिझेगी...........
श्रेणी:
देवी भजन
स्वर:
संगीता कपूर जी