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अजब रूप धारे शिव जी हमारे

अजब रूप धारे शिव जी हमारे
नाम ले लो शिव का मिटे पाप सारे
अजब रूप धरे शिव जी हमारे
भेद नहीं जाने तेरे खेल न्यारे
अजब रूप धारे शिवजी हमारे

नीले नीले कंठ में रे सर्पों की माला है
अंग में भभूति तन ओढे मृगछाला है
शिवजी की जटा में गंगा पधारे
अजब रूप धारी शिव जी हमारे

कभी-कभी पहन के चले यह रुंड माला है
एक हाथ डमरू और दुसरे में माला है
पिए भंग निशदिन ये भोला हमारे
अजब रूप धारे शिवजी हमारे

माथे पर चंदा भी करता उजाला है
बांटते यह अमृत पिए विष का प्याला है
होते दर्शन उनको जो मन से पुकारे
अजब रुप धारे शिव जी हमारे

नाम ले लो शिव का मिटे पाप सारे

श्रेणी:

शिव जी भजन

स्वर:

कान्ता कनोड़िआ जी

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