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अंबे तू है जगदंबे काली जय दुर्गे खप्पर वाली

बे तू है जगदंबे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली!
तेरे ही गुण गाए भारती ,ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती!!

तेरे जगत के भगत जनों पर ,भीड़ पड़ी है भारी !
दानव दल पर टूट पड़ो मां, करके सिंह सवारी !
सो सो सिंह से बलशाली, अष्टभुजा वाली!
दुष्टों को तुम ही संघ आरती!!
ओ मैया .....

मां बेटे का इस जग में है ,बड़ा ही निर्मल नाता !
पूत कपूत सुने हैं पर ना ,माता सुनी कुमाता !
सब पर अमृत बरसाने वाली, मन को हर्ष आने वाली!!
नैया भंवर से उब आरती !!
ओ मैया ......

नहीं मांगते धन और दौलत, ना चांदी ना सोना !
हम तो मांगे मां, तेरे मन में ,एक छोटा सा कोना!
सब पर करुणा बरसाने वाली ,विपदा मिटाने वाली!
ओ मैया.....

श्रेणी:

देवी भजन

स्वर:

श्वेता कनोड़िआ जी

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