मल्लिका अर्जुन ज्योतिर्लिंग
Mallika arjun jyotiling
पार्वती जी के बड़े पुत्र स्वामी कार्तिकेय अपने विवाह के लिए शिव जी के कथनानुसार पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटे तो मार्ग में उनकी भेंट नारद जी से हो गई नारद जी ने उन्हें बहका दिया की तुम्हारे पिता शंकर भगवान ने तुम्हारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया है तुम्हें तो पृथ्वी की परिक्रमा के लिए भेज दिया और अपने छोटे पुत्र गणेश का विवाह कर दिया। यह सुनकर स्वामी कार्तिकेय क्रोध में भर गये। वे क्रोध ने भरकर कैलाश से लौट गए। माता पिता पार्वती व शंकर जी के बार-बार कहने पर भी वे नहीं रुके।
रे क्रौच पर्वत पर चले गए पार्वती जी कुमार के वियोग में विलाप करने लगी। शिव जी साधारण मनुष्यों की तरह दुखी हो गए और उन्हें क्रौच पर लेने के लिए गए। माता पिता के आगमन की बात जानकर वे वहां से सौ योजन और दूर चले गए। कुमार का क्रौच पर्वत से चले जाने की बात सुनकर भगवान शंकर क्रोंच पर्वत पर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हो गए। तभी से यह लिंग मलिकार्जुन के नाम से प्रसिद्ध हो गया।।
स्वर:
राज बिरला जी